आर.के. स्टूडियो की होली: रंग, संगीत और अपनापन
मुंबई के चेंबूर में स्थित आर.के. स्टूडियो हर साल होली पर एक अलग ही रंग में रंग जाता था। यहां कोई VIP सेक्शन नहीं होता था, कोई बुलावे की ज़रूरत नहीं होती थी। बस इतना ही काफ़ी था कि "राज साहब ने बुलाया है।"
राज कपूर की होली में हर किसी के लिए दरवाज़े खुले होते थे—नए अभिनेता, स्पॉटबॉय, तकनीशियन, फिल्म निर्माता और सुपरस्टार्स—सब एक साथ होली खेलते थे।
"रंग सब बराबर कर देता है!"—राज कपूर का ये कहना ही उनकी होली का असली सार था।
होली के रंगों के साथ गुजिया, पकोड़े, ठंडाई और भांग का दौर चलता। लेकिन असली नशा तो उस अपनापन में था, जो राज कपूर हर मेहमान को अपनी मौजूदगी से महसूस कराते थे।
बॉलीवुड के सबसे बड़े नाम, एक ही रंग में रंगे हुए
आर.के. स्टूडियो की होली में वो सितारे भी बेफिक्र होकर शरीक होते थे, जो आमतौर पर भीड़ से दूर रहते थे।
- अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा, डिंपल कपाड़िया, रीखा, ऋषि कपूर, नीतू सिंह जैसे बड़े नाम
- संगीतकार शंकर-जयकिशन, गायक मुकेश, मन्ना डे
- और नए कलाकार, जिन्हें इस होली में अपने सीनियर एक्टर्स से खुलकर मिलने का मौका मिलता था
यहां कोई भीड़ नहीं थी, बस एक परिवार था—बॉलीवुड परिवार।
संगीत की महफिल: जहां सुरों में भीग जाती थी होली
राज कपूर की होली में सिर्फ़ रंग नहीं उड़ते थे, बल्कि सुरों की बारिश भी होती थी।
कोई डीजे नहीं, कोई रिकॉर्डेड गाने नहीं—यहां LIVE संगीत होता था।
- शंकर-जयकिशन की धुनों पर थिरकते सितारे
- मुकेश की आवाज़ में ‘जीना यहां, मरना यहां’ गूंजता हुआ
- और जब कोई ‘रंग बरसे’ गाने लगता, तो पूरा स्टूडियो झूम उठता।
ये सिर्फ़ एक जश्न नहीं था, ये एक फिल्मी कहानी थी, जो हर साल होली पर दोहराई जाती थी।
जब वक्त ने बदल दिए रंग
1990 में राज कपूर के निधन के बाद, पहली बार आर.के. स्टूडियो की होली अधूरी लगी।
ऋषि कपूर ने इस परंपरा को ज़िंदा रखने की कोशिश की, लेकिन समय के साथ वो पुराना जादू फीका पड़ने लगा। और फिर, 2017 में एक हादसे ने इस होली की आख़िरी यादों को भी राख में बदल दिया—आर.के. स्टूडियो में लगी भीषण आग ने इस आइकॉनिक जगह को हमेशा के लिए खत्म कर दिया।
इसके बाद, स्टूडियो को बेच दिया गया, और राज कपूर की होली एक बीती हुई याद बनकर रह गई।
राज कपूर की होली—एक एहसास, जो कभी नहीं मिटेगा
आज की होली इंस्टाग्राम, रील्स और सोशल मीडिया ट्रेंड्स तक सीमित हो गई है। लेकिन राज कपूर की होली वो थी, जहां कैमरे नहीं, रिश्ते ज़रूरी होते थे।
कुछ रंग पानी से नहीं उतरते, वो दिल में बस जाते हैं।
राज कपूर की होली भी ऐसा ही एक रंग थी।
राज साहब अब नहीं हैं, आर.के. स्टूडियो भी नहीं, लेकिन उनकी होली का रंग—वो जो अपनापन, दोस्ती और भाईचारे से भरा था—वो आज भी बॉलीवुड की यादों में ताज़ा है
(photo credit: X)