बॉलीवुड की दुनिया में कामयाबी की चमक जितनी तेज होती है, संघर्ष की परछाइयाँ उतनी ही गहरी होती हैं। हर चमकते चेहरे के पीछे एक लंबी कहानी छुपी होती है – दर्द, रिजेक्शन और उम्मीदों से भरी हुई। ऐसा ही एक वाक़या साझा किया सुपरस्टार गोविंदा ने, जब उन्हें बी.आर. चोपड़ा जैसे नामचीन फिल्मकार ने अपने दफ़्तर से निकाल दिया था।
गोविंदा ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने करियर के शुरुआती दिनों को याद करते हुए उस घटना का ज़िक्र किया जो उन्हें आज भी अंदर तक हिला देती है। उन्होंने बताया कि जब वो स्ट्रगल कर रहे थे, और फिल्मों में अपनी जगह बनाने के लिए दर-दर भटक रहे थे, तब उनकी मां उन्हें लेकर बी.आर. चोपड़ा के ऑफिस पहुंचीं।
बी.आर. चोपड़ा उस वक़्त टेलीविज़न के सबसे बड़े प्रोजेक्ट ‘महाभारत’ पर काम कर रहे थे। उनका सपना था कि इस पौराणिक कथा को भारतीय टेलीविज़न का सबसे भव्य शो बनाया जाए। उन्होंने गोविंदा को देखते ही अभिमन्यु का किरदार उनके सामने रखा।
लेकिन यहां एक मोड़ आया – गोविंदा की मां ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। उनका कहना था कि उनका बेटा फिल्मी पर्दे के लिए बना है, वो टेलीविज़न नहीं करेगा। उन्होंने साफ कह दिया कि गोविंदा सिर्फ़ फिल्मों में लीड रोल करेगा, कोई धारावाहिक नहीं करेगा।
बी.आर. चोपड़ा इस बात से बेहद नाराज़ हो गए। उन्हें यह घमंड या नासमझी लगी। ग़ुस्से में आकर उन्होंने कहा:
"क्या पागलपन है ये? बाहर निकालो इसको! ये लड़का स्टार बनने आया है? इसकी मां तो पागल लगती है!"
इस अपमानजनक लहजे ने गोविंदा को अंदर तक तोड़ दिया। वो बताते हैं कि उन्हें खुद से ज़्यादा अपनी मां के लिए बुरा लगा — एक मां, जो उनके लिए सपना देख रही थी, और जिसे एक बड़े निर्माता ने ‘पागल’ कह दिया।
लेकिन उस दिन मां ने भी बेटे को टूटने नहीं दिया। उन्होंने कहा:
"जिसे तेरे हुनर की पहचान नहीं, उससे कुछ पाने की ज़रूरत भी नहीं। तू चलेगा अपनी राह पर, और एक दिन वो भी तुझे पहचानेंगे।"
वो मां की बात ही थी जिसने गोविंदा के अंदर एक ज़िद जगा दी — कुछ कर दिखाने की ज़िद, अपनी पहचान बनाने की ज़िद।
वक़्त बदला, और कुछ ही सालों में गोविंदा बॉलीवुड के सबसे चहेते सितारों में गिने जाने लगे। उनकी कॉमिक टाइमिंग, डांसिंग स्किल्स और दिल जीत लेने वाली मासूमियत ने उन्हें हर घर का फेवरेट बना दिया।
वो गोविंदा, जिसे कभी बी.आर. चोपड़ा ने दफ़्तर से निकाल दिया था, इंडस्ट्री का चमकता सितारा बन चुका था।
इस घटना में सिर्फ़ एक स्ट्रगलिंग एक्टर की कहानी नहीं है — ये उस मां की दूरदृष्टि की कहानी है, उस बेटे की हिम्मत की कहानी है, और उस इंडस्ट्री की भी कहानी है जो कभी किसी को पहचान नहीं पाती, और फिर उसी के नाम की माला जपती है।